राहूल गांधी करेंगे दादाजी खोबरागड़े के परिवार की सांत्वना

 11 Jun 2018  657

महाराष्ट्र, (11 जून 2018)- धान की प्रजाति के निर्माता दादाजी रामजी खोबरागड़े, जिन्होंने रविवार को आखिरी सांसे ली। कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी आगामी 13 जून को खोबरागड़े के परिवार से मिलकर उन्हें सांत्वना देंगे, जिस तरह कुछ साल पहले राहुल गांधी ने सांसद एवं कांग्रेस उपाध्यक्ष रहते हुए महाराष्ट्र के सूखाग्रस्त यवतमाल जिले के जालका गांव पहुंचकर आत्महत्या करने वाले किसान की विधवा कलावती से मिलकर उनका दुखदर्द जाना था, उसके बाद में उन्होंने संसद को किसानों की आत्महत्या का दर्द समझाने के लिए कलावती का जिक्र भी किया था। हालांकि क्या अब इसी तरह अब राहुल गांधी खोबरागड़े के परिवार का दुख दर्द बांटेंगे। 

►कौन थे, खोबरागड़े 

 दादाजी रामजी खोबरागड़े एक दलित किसान, जिन्हें धान की प्रजाति विकसित करने के लिए अवॉर्ड मिला। लेकिन वह सिस्टम से लड़ते-लड़ते हार गए और रविवार को उनका निधन हो गया। खोबरागड़े पैरालिसिस से जूझ रहे थे और महाराष्ट्र के शोधग्राम के अस्पताल में उन्होंने आखिरी सांस ली। 79 साल के खोबरागड़े चंद्रपुर के नांदेड़ गांव के रहने वाले थे। उन्होंने धान की एचएमटी (HMT) प्रजाति को उन्नत बनाया था। लेकिन एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी पंजाबराव कृषि विद्यापीठ (पीकेवी) ने इस प्रजाति को पीकेवी, एचएमटी (PKV, HMT) के नाम से अपना बना लिया और खोबरागड़े को कोई क्रेडिट नहीं दिया गया। खोबरागड़े इसके लिए सिस्टम से एक असफल लड़ाई जीवन के अंतिम दिनों तक लड़ते रहे। यूनिवर्सिटी इस प्रजाति पर दावा करते हुए लगातार कहती रही कि उसने खोबरागड़े से बीज लिए और उन्हें विकसित किया क्योंकि किसी किसाने के लिए यह संभव नहीं है। इंडियन एक्सप्रेस ने उन पर रिपोर्ट करते हुए बताया है कि खोबरागड़े ने सात अन्य धान की प्रजातियां विकसित कीं। उन्हें 2005 में नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन अवॉर्ड भी मिला।

►HMT घड़ी के नाम पर रखा धान की प्रजाति का नाम

खोबरागड़े के पास डेढ़ एकड़ जमीन थी। रिसर्च वाली चीज उन्हें पिता से विरासत में मिली। उनके पिता कुछ खास तरह के अनाज को बचाकर रखते थे। 1983 के आस-पास खोबरागड़े को कुछ ऐसे चावल दिखे जो ग्रे और पीले रंग के थे और साइज में छोटे थे। उन्होंने इसे संरक्षित कर दिया और अगले सीजन में उनकी बुआई की। उनकी पैदावार बढ़ती गई और 1988 तक क्षेत्र के कई किसानों ने इसकी बुआई की। पास की मार्केट के एक व्यापारी ने बीज के कुछ बैग खरीदे। खोबरागड़े ने तब एक एचएमटी घड़ी खरीदी थी। इसी के नाम पर उन्होंने चावल को एचएमटी नाम दिया। इसके बाद अपने अलग टेस्ट और खुशबू की वजह से यह एचएमटी के नाम से प्रसिद्ध हो गया। पूरे जिले के लोग इसे उगाने लगे।

►'गोल्ड मेडल' की जगह सरकार ने दे दिया तांबा

 2006 में महाराष्ट्र सरकार ने खोबरागड़े के कृषि भूषण पुरस्कार दिया। यह अवॉर्ड विवादित हो गया क्योंकि इसमें जो ‘गोल्ड मेडल’ दिया गया था वह तांबे का निकला। बाद में सरकार ने जांच बिठाई और इसे असली सोने से बदला गया।

►आखिरी दिन मुफलिसी में बीते

जीवन के आखिरी साल खोबरागड़े ने गरीबी और बीमारी में बिताए। फेसबुक क्राउड फंडिंग की मदद से सुखदा चौधरी ने उनकी सहायता की। 15 दिनों में 7 लाख रुपए जमा किए गए लेकिन दादाजी खोबरागड़े की बीमारी ठीक न हो सकी। उनके पोते दीपक कहते हैं, 'उन्होंने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को पत्र लिखकर 20 एकड़ जमीन और एक घर की मांग की थी। लेकिन अब सरकार की तरफ से सिर्फ इलाज के लिए 2 लाख रुपए ही दिए गए थे।' सोमवार को उत्तरी नागपुर में दादाजी खोबरागड़े का अंतिम संस्कार किया गया।

क्या खोबरागड़े के परिवार में भी राहुल गांधी लाएंगे खुशहाली

किसान आत्महत्या से ग्रस्त विदर्भ के यवतमाल जिले के जालका गाँव के एक किसान की विधवा और छह बच्चों की माँ कलावती. कलावाती उस समय सुर्खियों में आईं जब 2008 में कांग्रेस नेता राहुल गांधी उसके घर पहुंचे और बाद में संसद में किसानों की आत्महत्या से जूझ रहे इलाके में गरीब किसान विधवाओं के लिए प्रतीक के तौर पर कलावती का उल्लेख किया. और कलावती को रातोरात स्टार बना दिया। इसके बाद एक संस्था ने उसे 36 लाख रुपये देने की घोषणा की और पहली किश्त के तौर पर 6 लाख रुपये का भुगतान भी किया। बाद में सारी रकम उनके नाम से बैंक में जमा करवा दी गई। और  तो और उन्हें दूसरी सरकारी सहायता भी मिली। इससे कलावती के जीवन में खासा परिवर्तन हुआ। मसलन राहुल गाँधी का कलावती से मिलना कारगर साबित हुआ। इसके तर्ज पर क्या राहुल गांधी का यह दौरा खोबरागड़े के परिवार के जीवन को भी खुशहाल बना पाएगा।