ज़िंदगी से मुझे क्या सीख मिली

 08 Apr 2022  544

मैं ऑर्किड्स - इंटरनेशनल स्कूल की अम्बेगाँव, पुणे शाखा से यह लिख रही हूँ। मैं वर्ष 2019 में माध्यमिक शिक्षिका के रूप में मैसूर रोड, बेंगलुरू शाखा से इस संगठन के साथ जुड़ी, लेकिन किसी आकस्मिक घटना के चलते मुझे पुणे शाखा में स्थानांतरित किये जाने के लिए आवेदन देना पड़ा। महामारी के प्रकोप ने दुनिया भर प्रभावित किया और हर दूसरे संगठन की तरह, मैसूर रोड स्थित हमारे स्कूल में भी मार्च 2020 से ऑनलाइन पढ़ाई होने लगी।  मैं 70 साल से अधिक उम्र की माँ की देखभाल के साथ ऑनलाइन कक्षाएँ लेने में व्यस्त हो गयी। मेरे पति भी वर्क फ्रॉम होम मोड पर काम करने लगे। बच्चों के लिए पहली बार ऑनलाइन कक्षाएं ली जा रही थीं और इसलिए व्यस्तता काफी बढ़ गयी। मैं ज़ूम पर मीटिंग्स की अभ्यस्त थी, चूंकि मैं मेंटरशिप प्रोग्राम में शामिल हूँ। सौभाग्य से मेरी मेड मेरी मदद कर रही थी। हम तीनों ने केंगेरी में रहते हुए लॉकडाउन का सामना किया जिसमें मेरा भाई भी था जो दुबई से हमसे मिलने आया था वो वापस नहीं जा सका था।

तभी यह घटित हुआ। मेरा परिवार संक्रमण का शिकार हो गया। पहले मेरा भाई, फिर माँ, मेरे पति, मैं और 70+ की मेरी दो बुआ सभी संक्रमित हो गये। सौभाग्य से मेरा बेटा अपने दादा-दादी के साथ पुणे था। मेरे पति ने मेरे भाई और मां को एक अच्छे अस्पताल में भर्ती कराया, जबकि स्थिति ऐसी थी कि किसी भी अस्पताल में बेड खाली नहीं था। मुझे घर पर क्वारंटाइन कर दिया गया था और मेरे पति को बाद में भर्ती होना पड़ा। सब ठीक हो गए और घर लौट आए। लेकिन भगवान ने मेरे पति के लिए शायद इससे भी बेहतर घर का प्रबंध कर रखा था। ऊपर वाले ने बहुत ही विशेष प्रेम दिखाया, और 22 अक्टूबर 2020 को उनका परलोक गमन हो गया।

 

मैं सोचती थी कि जो खबरें मैं पढ़-सुन रही हूँ, वह हमारे साथ नहीं होगी। जीवन हमें यह सिखाता है कि ऐसा नहीं है। इस सब के बीच, मैं अपने स्कूल के क्रेजी शेड्युल्स और डेडलाइन्स के साथ व्यस्त ज़िंदगी जीती रही। स्क्रीन पर बच्चों की ज़िंदादिल उपस्थिति के बीच मैं सब कुछ भूल गयी और केवल इस बात पर ध्यान दिया कि मुझे पढ़ाना है। शिक्षण और प्रशिक्षण ही मेरी जीवन वृत्ति रही है। मेरे परिजनों और दोस्तों ने मुझे बहुत बड़ा सहारा दिया और इस ठहरे हुए जीवन को गति दी। मैं मेंटरशिप प्रोग्राम का भी उल्लेख करना चाहूंगी जिसका मैं कई वर्षों से हिस्सा रही हूं। आप कह सकते हैं कि मेरे मेंटर मेरी मानसिक जीवन-रेखा हैं। सही सोच जीवन को सही दृष्टि प्रदान करती है, उसी तरह जिस तरह कोई नाव आपको तूफानों के बीच से निकालकर सुरक्षित साहिल तक पहुँचा देती है। अंततः किसी को भी उस आध्यात्मिक शक्ति को नहीं भूलना चाहिए जो 24/7 हमारे साथ है। भारत में हमें बचपन से ही प्रार्थना करना सिखाया जाता है और मैं अपनी संस्कृति की आभारी हूँ। ज़िंदगी ने मुझे यही सिखाया है - जब आपके पास देने के लिए कुछ भी नहीं हो। आप प्यार दे सकते हैं, किसी का ख्याल रख सकते हैं, किसी की देखभाल कर सकते हैं या फिर मुश्किल के समय में किसी ज़रूरतमंद के साथ खड़े रह सकते हैं। आप पैसे और सेवा के साथ जरूरतमंद लोगों की मदद भी कर सकते हैं। आखिरकार, जीवन का उद्देश्य यह होना चाहिए कि आप ऐसा इंसान बनें जिस पर लोग भरोसा कर सकेंयह बहुमूल्य संदेश मुझे मेरे पति से मिला है।

 

वीना बाखले, अंग्रेजी शिक्षक, ऑर्किड इंटरनेशनल स्कूल, अंबेगाँव शाखा