►तात्कालिक मदद के रूप में रत्नागिरी को ७५ करोड़, सिंधुदुर्ग को २५ करोड़ रुपये घोषित
मुंबई, (7 जून 2020)- निसर्ग चक्रीवाती तूफ़ान के कारण रायगड जिले की तरह ही रत्नागिरी और सिंधुदुर्ग जिले को भी इस तूफ़ान से क्षति पहुंची है। यह क्षति गंभीर तथा इस संकट के परिणाम गंभीर है, सरकार पूर्ण शक्ति से कोकणवासियों के साथ है, यह कहते हुए तात्कालिक मदद के रूप में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने रत्नागिरी को ७५ करोड़ रुपये और सिंधुदुर्ग को २५ करोड़ रूपये की घोषणा की है। ठाणे और पालघर जिले में भले ही कम नुकसान हुआ है, फिर भी वहाँ का जायज़ा लेने के बाद भी निर्णय लिया जाएगा, मुख्यमंत्री ने बताया कि ऐसे नैसर्गिक आपदा के नुकसान मुआवज़े के पुराने नियमों में बदलाव करने की आवश्यकता है और नए रूप से सुधारित नियम क्या होने चाहिए, इस बात को लेकर प्रशासन जल्द ही जानकारी प्रस्तुत करें, ताकि इस पर निर्णय लिया जा सके। निसर्ग चक्रीवाती तूफ़ान के कारण रत्नागिरी, सिंधुदुर्ग, ठाणे, पालघर इन जिलों में हुए नुकसान का जायज़ा आज मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने वीडियो कॉन्फरन्स द्वारा लिया और लोकप्रतिनिधियों के सूचनाएं भी सुनी और प्रशासन को योग्य वह निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने सबसे अधिक क्षति हुए रायगड जिले का हाल ही में दौरा कर क्षतिग्रस्त जगह का निरीक्षण किया है। संकट कितना गंभीर है, इस बात पर मैं नहीं बोलूँगा, क्योंकि कोकणवासियों ने इसे नजदीकी से देखा है, सरकार आपके साथ है। जल्द से जल्द मैं रत्नागिरी और सिंधुदुर्ग जिले के क्षतिग्रस्त क्षेत्र को भी भेट दूंगा। इस संकट का हमने कैसे मुक़ाबला किया है या फिर इस संकट से हमने क्या अनुभव किया है, इस बात को देखना चाहिए, यह मुख्यमंत्री ने कहा। कोकण क्षेत्र में भूमिगत विद्युत तारा को लेकर कौन-सी व्यवस्था की जा सकती है, इस पर विचार करना होगा। उसी तरह सिमेंट के पत्रे को भी कुछ विकल्प है या कोकण किनारपट्टी पर कायमस्वरूपी सुरक्षित रूप से आश्रय का निर्माण किया जा सकता, इस पर भी विचार करने की आवशकता है। अब जो नुकसान हुआ है, वैसे नुकसान न हो। नागरिकों का भरोसा जीतकर मुआयना (पंचनामा) करेंगे। मदद कार्य करते समय आप प्राथमिकता तय करें, लोगों का भरोसा जीतें। किसी भी प्रकार का गलतफ़हमियों को फैलने न दे। प्रशासन के अधिकारी और कर्मचारी भी मनुष्य ही है, मानव संसाधन का योग्य नियोजन करें, मुआयना (पंचनामे) भी तत्काल कर भेजे, जहां पर यातायात ठप हुई है, उसे तत्काल शुरू करें। बड़े पैमाने पर विद्युत पोल पड़ गए है, इसलिए तत्काल विद्युत आपूर्ति सुचारु रूप से शुरू करें, अंतर्गत रास्तों की दुरुस्ती की जाए। अब बारिश आएगी इसलिए बड़ी चुनौती हो सकती है। इसलिए छोटे-छोटे दुकानदार, व्यावसायिक, मूर्तिकार, मच्छीमारों को तत्काल मदद की जाए।मुख्यमंत्री ने सराहना करते हुए कहा कि कोरोना के संकट की चुनौती का, जिस धैर्य से इस तूफ़ान का सामना किया है, वह सराहनीय है। जिला प्रशासन, पुलिस, एनडीआरएफ, इन जिलों के स्वयंसेवी संस्था, मच्छीमार बांधव, अन्य संगठनाएं इन सभी ने इसका मुकाबला किया है। इस दौरान सिंधुदुर्ग के पालकमंत्री उदय सामंत ने कहा कि रत्नागिरी और रायगड जिले की तुलना में सिंधुदुर्ग का कम नुकसान हुआ हो फिर भी अधिकतर जगहों पर विद्युत यंत्रणा में बिघाड हुआ है और इसे दुरुस्त करते हुए सुचारु रूप से विद्युत आपूर्ति हो। उन्होंने कहा कि गांवों के संपर्क रास्ते दुरुस्त करना भी जरूरी है। जिले को कम से कम २५ से ३० करोड़ रुपये देने की आवश्यकता है। रत्नागिरी के पालकमंत्री ॲड. अनिल परब रत्नागिरी जिले के दौरे पर थे। उन्होंने वहीं से इस कॉन्फरन्स में भाग लेते हुए क्षतिग्रस्त का मुआयना करते हुए जानकारी दी। उन्होंने बताया कि विशेषत: मंडणगड, दापोली, रत्नागिरी को अधिक क्षति पहुंची है और बहुत से मकानों को भी क्षति पहुंची है। विद्युत के खांब टूट गए है, शिधावाटप यंत्रना का भीगा हुआ अनाज़ भी बदलकर नया अनाज़ दिया जा रहा है। मकानों के पत्रे भी उड़ गए है, हालांकि अभी वह उपलब्ध नहीं है। अब बारिश के दिन होंगे, इसलिए जल्द से जल्द ही मकानों के लिए पत्रे भी उपलब्ध करना जरूरी है। नगरविकास मंत्री एकनाथ शिंदे भी रत्नागिरी जिले के दौरे पर थे और वहीं से उन्होंने भाग लिया। उन्होंने कहा कि फयान तूफ़ान से अधिक नुकसान होने से नागरिकों ने प्रति परिवार रोख मदद की मांग है। पीने के पानी की योजनाएँ भी बंद है, इसलिए जनरेटर संच देने होंगे। ट्रान्सफार्मर्स, खांब गिर गए है। विद्युत वितरण के अन्य जिले से भी कर्मचारियों को बुलाना पड़ेगा। साथ ही जो पेड़ गिर गए है, उन्हें हटाना होगा ताकि मुश्किलें खत्म हो सकेगी। पालघर के पालकमंत्री दादाजी भुसे ने पालघर जिले के नुकसान की जानकारी दी। उन्होंने इस दौरान जिले के सांसद, विधायक एवं अन्य लोकप्रतिनिधियों ने भी अपनी-अपनी सूचनाएँ तथा सुझाव भी रखें। इस दौरान बैठक में जिला प्रशासन की ओर से प्राथमिक स्वरूप में हुए क्षति की विस्तार से जानकारी दी गई। विद्युत के खांब गिरना, पेड़ गिरना, मकानों के पत्रे, कौले उड़ जाना, दीवार गिरना एवं अंतर्गत रास्ते खराब होना, यातायात की व्यवस्था भी ठप होने जैसी क्षति होती है। सुपारी बागायतदार किसानों का भी बहुत नुकसान हुआ है और जगह-जगह पर नारियल, (पोफळी) आम के बाग भी उध्वस्त होने से उदरनिर्वाह की समस्या है। साथ ही १५-१५ साल से संवर्धित किए हुए पेड़ नष्ट होने से अब भविष्य की समस्या निर्माण हुई है और ओर देखने बात लोकप्रतिनिधि ने रखी। मुख्य सचिव अजोय मेहता ने बताया कि चक्रीवाती तूफ़ान के मुआयना (पंचनामे) जल्द से जल्द पूरा करने के निर्देश दिए है। विविध टीमें बनाकर यह मुआयना (पंचनामे) व्यवस्थित करने के लिए कहा गया है। नुकसान मुआवज़े की कुछ अग्रिम राशि (भरपाईची काही आगाऊ रक्कम) जिलाधिकारी की ओर देकर मुआयना (पंचनामे) होते ही यह रकम दी जाएगी। जिससे थोडा-सी राहत मिलेगी। अभी केवल दुरुस्ती ही नहीं तो, विद्युत यंत्रना की बुनियादी सुविधाओं का निर्माण करने का अनुभव जिन संस्थाओं को है, उन्हें एवं कंपनियों को तत्काल काम शुरू करने के निर्देश महावितरण को दिए है।