सरोकार- 47 साल का रिकार्ड तोड़ेंगे फडनवीस

 30 Jun 2019  817

अजय भट्टाचार्य

पॉलिटिक्स, (30 जून 2019)- महाराष्ट्र विधान सभा के इस मानसून सत्र के पूरे होने के बाद वर्तमान मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडनवीस एक कीर्तिमान स्थापित करने की और बढ़ रहे हैं। महाराष्ट्र की स्थापना के बाद वे दूसरे मुख्यमंत्री होंगे जो राज्य की सत्ता पर पूरे पांच साल का कार्यकाल पूरा करेंगे। इससे पहले वसंतराव नाईक (1 मार्च 1967 से 13 मार्च 1972) ने अपना कार्यकाल पूरा किया था। वैसे सबसे लंबे समय तक महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने रहने का कीर्तिमान ( 5 दिसम्बर 1963 से 20 फरवरी 1975) भी वसंतराव नाईक के नाम ही है। मुख्यमंत्री के तौर पर नाईक ने तीन बार शपथ ली थी जिसमें 1967-1972 का कार्यकाल पूरी अवधि से 12 दिन अधिक था। सरसरी नजर से देखें तो महाराष्ट्र के पहले मुख्यमंत्री यशवंतराव चव्हाण का कार्यकाल 933 दिन (1 मई 1960 से 17 नवंबर 1962) का था। इसके बाद मारोतराव कन्नमवार 370 दिन ( 20 नवंबर 1962 से 24 नवंबर 1963) के लिए मुख्यमंत्री बने। उनके बाद 25 नवंबर 1963 को मुख्यमंत्री बने पी. के. सावंत मात्र 10 दिन मुख्यमंत्री रहे। 5 दिसम्बर 1963 को वसंतराव नाईक ने मुख्यमंत्री का पदभार संभाला और विधानसभा का पहला कार्यकाल पूरा करते हुए 1 मार्च 1967 को दुबारा मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। मुख्यमंत्री के तौर पर अपने तीसरे कार्यकाल में वे  20 फरवरी 1975 तक पद पर रहे। वे कुल 4097 दिन महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहे। इसके बाद शंकरराव चव्हाण 816 दिन (21 फरवरी 1975 से 16 मई 1977), वसंत दादा पाटील 427 दिन (17 मई 1977 और 5 मार्च 1978  और 5 मार्च 1978 से 18 जुलाई 1978) महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहे। यह वह दौर था जब इमरजेंसी के बाद देश में पहली गैर कांग्रेसी सरकार जनता पार्टी के बैनर तले बनी थी। राजनीतिक वातावरण को समझते हुए शरद पवार ने अपने गुरु यशवंतराव चव्हाण से किनारा करते हुए पुरोगामी लोकशाही आघाड़ी बनाई और 18 जुलाई 1978 को महाराष्ट्र के सबसे कम उम्र के मुख्यमंत्री बने। उस समय उनकी उम्र 38 वर्ष की थी। उनकी पहली पारी 17 फरवरी 1980 को समाप्त हुई। 1980 में केंद्रीय सत्ता में वापसी के बाद इंदिरा गाँधी ने महाराष्ट्र की शरद पवार सरकार बर्खास्त कर दी और राष्ट्रपति शासन लगा दिया। वे 580 दिन मुख्यमंत्री रहे। 133 के राष्ट्रपति शासनकाल में ही विधानसभा चुनाव हुए और अब्दुल रहमान अंतुले कांग्रेस के विधायक दल के नेता चुने जाने के बाद 9 जून 1980 को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने। सीमेंट घोटाले के चलते अंतुले को 12 जनवरी 1982 को मुख्यमंत्री पद पर 583 दिन रहने के बाद इस्तीफ़ा देना पड़ा। अंतुले के बाद 21 जनवरी 1982 को बाबासाहेब भोसले राज्य के मुख्यमंत्री बने और 377 दिन बाद 1 फरवरी 1983 को कुर्सी से विदा भी हो गए। महाराष्ट्र में वसंतदादा पाटील एक बार फिर 2 फरवरी 1983 के दिन मुख्यमंत्री बने 851 दिन के बाद 1 जून 1985 को पूर्व मुख्यमंत्रियों की सूची में शामिल हो गए। इस बीच 31 अक्तूबर 1984 को प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी की हत्या के बाद हुए लोकसभा चुनावों में कांग्रेस की जीत का असर महाराष्ट्र विधान सभा चुनावों पर भी पड़ा और एक बार फिर कांग्रेस की सरकार महाराष्ट्र में शिवाजीराव पाटील निलंगेकर की अगुवाई में 3 जून 1985 को बनी। लेकिन 277 दिन बाद राजनीतिक कारणों से 6 मार्च 1986 को उन्होंने गद्दी छोड़ दी और उनकी जगह 12 मार्च 1986 को शंकरराव चव्हाण मुख्यमंत्री बने। इस बीचा पुराने कांग्रेसियों को वापस लाने की मुहिम में  राजीव गाँधी ने शरद पवार से संपर्क किया और पवार की कांग्रेस में वापसी के साथ-साथ मुख्यमंत्री पद पर ताजपोशी भी हुई। 26 जून 1988 को महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री कार्यालय की नेमप्लेट बदल चुकी थी और शरद पवार एक बार फिर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने। शरद पवार के नेतृत्व में ही 1990 में महाराष्ट्र विधान सभा में कांग्रेस की वापसी हुई। इस बीच लोकसभा के मध्यावधि चुनाव के दौरान 21 मई 1991 को कांग्रेस अध्यक्ष व पूर्व प्रधानमंत्री राजीवगांधी की हत्या हो गई और केंद्र में पी. वी. नरसिम्हाराव की सरकार बनी। नरसिम्हाराव ने पवार को दिल्ली बुलाकर रक्षामंत्री बना दिया। वैसे यह वह दौर था जब मुंबई में गैंगवार चरम पर था और मुंबई के आस-पास भी छत्रप उभार पर थे। पवार के 1094 दिन के शासन के बाद सुधाकरराव नाईक ने 25 जून 1991 को राज्य के शासन सूत्र संभाले। सुधाकरराव नाईक के समय ही विरार के भाई ठाकुर और उल्हासनगर के सुरेश उर्फ़ पप्पू कालानी जैसे बाहुबली सलाखों के पीछे डाल दिए गये। 6 दिसम्बर 1992 को अयोध्या में बाबरी विध्वंस के बाद भड़के दंगों से महाराष्ट्र भी अछूता नहीं रहा और मुंबई तो दो बार दंगों की आग में झुलसी। नतीजा यह हुआ कि 608 दिन के बाद 22 फरवरी 1993 को सुधाकरराव नाईक ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफ़ा दे दिया और 6 मार्च १९९३ को शरद पवार ने एक बार फिर महाराष्ट्र की सत्ता संभाली। पवार को तीसरी बार महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बने एक सप्ताह भी नहीं हुआ था कि 12 मार्च 1993 को मुंबई में धमाके हो गए। यह घटना महाराष्ट्र में कांग्रेस के पतन की शुरुआत बनी। भाजपा विधायक प्रेमकुमार शर्मा, मुंबई भाजपा अध्यक्ष रामदास नायक और शिवसेना विधायक रमेश मोरे की हत्याओं से राज्य की बदहाल होती कानून व्यवस्था के खिलाफ 1995 में शिवसेना-भाजपा युति को बहुमत मिला।  739 दिन के बाद शरद पवार 14 मार्च 1995 को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद से मुक्त हुए और शिवसेना के मनोहर जोशी मुख्यमंत्री बने। लग रहा था कि जोशी अपना कार्यकाल पूरा करेंगे लेकिन शिवसेना प्रमुख बाला साहेब ठाकरे के आदेश पर 1419 दिन मुख्यमंत्री रहने के बाद जोशी ने इस्तीफ़ा दे दिया और 1 फरवरी 1999 को नारायण राणे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने। केंद्र में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार पोखरण परमाणु परीक्षण और कारगिल विजय से उत्साहित थी और स्पष्ट बहुमत की लालच में मध्यावधि चुनाव की ओर अग्रसर थी। युति के रणनीतिकारों को लगा कि यदि राज्य में भी समय से पूर्व चुनाव करा लिए जाएँ तो फायदेमंद रहेगा। लोकसभा चुनाव के साथ ही विधानसभा चुनाव हुए और नतीजे युति के पक्ष में नहीं थे। नतीजतन 259 दिन के मुख्यमंत्री बनकर रह गये राणे। 18 अक्टूबर 1999 को विलासराव देशमुख ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। लेकिन कार्यकाल पूरा होने से पहले ही 1187 दिन बाद 18 जनवरी 2003 को सुशील कुमार शिंदे को आलाकमान के आदेश पर महाराष्ट्र की सत्ता पर स्थापित कर दिया गया। 2004 में फिर चुनाव हुए और नतीजे आने के बाद 1 नवंबर 2004 को विलासराव देशमुख वापस मुख्यमंत्री बने। शिंदे का बतौर मुख्यमंत्री 651 दिन का कार्यकाल रहा। 26 नवंबर 2008 को मुंबई में हुए आतंकी हमले ने विलासराव की राजनीतिक बलि ले ली। अपने दूसरे कार्यकाल में विलासराव देशमुख 1494 दिन मुख्यमंत्री रहे। 8 दिसम्बर 2008 को अशोक चव्हाण महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहे लेकिन आदर्श सोसाइटी घोटाले में नाम आने के बाद आलाकमान के आदेश पर उन्हें मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा। वे 679 दिन मुख्यमंत्री रहे। यह अलग बात है कि 2009 का विधानसभा चुनाव जीतकर गद्दी पर वापस लौटे अशोक चव्हाण एक साल बाद ही चलते कर दिए गये। 11 नवंबर 2010 को मुख्यमंत्री बनने वाले  पृथ्वीराज चव्हाण 2014 के विधान सभा चुनावों में पार्टी को जिता नहीं पाये और 1414 दिन बतौर मुख्यमंत्री रहकर विदा हुए। इसके बाद मुख्यमंत्री बने देवेन्द्र फडनवीस 31 अक्टूबर 2014 से अब तक 1704 दिन पूरे कर चुके है और विधानसभा चुनाव होने तक राज्य के नेतृत्व में बदलाव के कोई संकेत भी नहीं हैं। इस तरह फडनवीस बतौर मुख्यमंत्री अपना कार्यकाल पूरा करने वाले दूसरे मुख्यमंत्री होंगे। यदि मुख्यमंत्री पद पर कुल दिनों को देखें तो वसंतदादा पाटील 1278 दिन ( 2 कार्यकाल), शरद पवार 2467 दिन (3 बार शपथग्रहण) महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहे। निश्चित ही यह एक कीर्तिमान ही होगा। महाराष्ट्र की राजनीति में 47 साल में यह पहला अवसर होगा जब कोई मुख्यमंत्री अपना कार्यकाल पूरा करेगा।