बिसात- रिकार्ड बनाने की ओर फडनवीस

 30 Jun 2019  750

अजय भट्टाचार्य

करेंट अफेयर्स,(30 जून 2019)- महाराष्ट्र विधान सभा के इस मानसून सत्र के पूरे होने के बाद वर्तमान मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडनवीस एक कीर्तिमान स्थापित करने की और बढ़ रहे हैं। महाराष्ट्र की स्थापना के बाद वे दूसरे मुख्यमंत्री होंगे जो राज्य की सत्ता पर पूरे पांच साल का कार्यकाल पूरा करेंगे। इससे पहले वसंतराव नाईक (1 मार्च 1967 से 13 मार्च 1972) ने अपना कार्यकाल पूरा किया था। वैसे सबसे लंबे समय तक महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने रहने का कीर्तिमान ( 5 दिसम्बर 1963 से 20 फरवरी 1975) भी वसंतराव नाईक के नाम ही है। मुख्यमंत्री के तौर पर नाईक ने तीन बार शपथ ली थी जिसमें 1967-1972 का कार्यकाल पूरी अवधि से 12 दिन अधिक था। सरसरी नजर से देखें तो महाराष्ट्र के पहले मुख्यमंत्री यशवंतराव चव्हाण का कार्यकाल 933 दिन (1 मई 1960 से 17 नवंबर 1962) का था। इसके बाद मारोतराव कन्नमवार 370 दिन के लिए मुख्यमंत्री बने। उनके बाद 25 नवंबर 1963 को मुख्यमंत्री बने पी. के. सावंत मात्र 10 दिन मुख्यमंत्री बने। 5 दिसम्बर 1963 को वसंतराव नाईक से मुख्यमंत्री का पदभार संभाला और विधानसभा का पहला कार्यकाल पूरा करते हुए 1 मार्च 1967 को दुबारा मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। मुख्यमंत्री के तौर पर अपने तीसरे कार्यकाल में वे  20 फरवरी 1975 तक पद पर रहे। वे कुल 4097 दिन महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहे। इसके बाद शंकरराव चव्हाण 816 दिन, वसंत दादा पाटील 427 दिन, शरद पवार 580 दिन, अब्दुल रहमान अंतुले 583 दिन, बाबासाहेब भोसले 377 दिन, वसंतदादा पाटील 851 दिन, शिवाजीराव पाटील निलंगेकर 277 दिन, शरद पवार 1094 दिन, सुधाकरराव नाईक 608 दिन, शरद पवार 793 दिन, मनोहर जोशी 1419 दिन, नारायण राणे 259 दिन, विलासराव देशमुख 1187 दिन, अशोक चव्हाण 679 दिन, पृथ्वीराज चव्हाण 1414 दिन और देवेन्द्र फडनवीस 31 अक्टूबर 2014 से अब तक 1704 दिन पूरे कर चुके है और विधानसभा चुनाव होने तक राज्य के नेतृत्व में बदलाव के कोई संकेत भी नहीं हैं। इस तरह फडनवीस बतौर मुख्यमंत्री अपना कार्यकाल पूरा करने वाले दूसरे मुख्यमंत्री होंगे। यदि मुख्यमंत्री पद पर कुल दिनों को देखें तो वसंतदादा पाटील 1278 दिन ( 2 कार्यकाल), शरद पवार 2467 दिन (3 बार शपथग्रहण) महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहे।

►योगी का नया निशाना

उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में भाजपा सरकार ने 17 अति पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जातियों (एससी) में शामिल करने का आदेश जारी किया है। उत्तरप्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग की सूची में शामिल कहार व कश्यप समेत 17 जातियों को अब जिलाधिकारी द्वारा अनुसूचित जाति का प्रमाणपत्र जारी किया जा सकेगा। ऐसा करके योगी ने एक तीर से कई निशाने साधने की कोशिश की है। इस आदेश के जरिए भाजपा ने अति पिछड़ों में मजबूत पैठ बनाने की कोशिश करने के साथ ही इन जातियों का 14 प्रतिशत वोटबैंक साधने की कोशिश भी की है। इसे लोकसभा चुनाव के दौरान अलग हुई सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (एसबीएसपी) से विधानसभा चुनाव में संभावित नुकसान की भरपाई का प्रयास भी कहा जा सकता है। उप्र में निषाद, बिंद, मल्लाह, केवट, कश्यप, भर, धीवर, बाथम, मछुआरा, प्रजापति, राजभर, कहार, कुम्हार, धीमर, मांझी, तुरहा और गौड़ आबादी करीब 13.63 फीसदी है। ऐसे में चुनाव के दौरान इन जातियों का वोट चुनाव में किसी भी राजनीतिक पार्टी की जीत की दिशा तय करने में महत्वपूर्ण हो सकता है। उप्र में 13 निषाद जातियों की आबादी 10.25 प्रतिशत है। वहीं, राजभर 1.32 प्रतिशत, कुम्हार 1.84 प्रतिशत और गोंड़ 0.22 प्रतिशत हैं। अरसे से यह वर्ग एससी-एसटी की सूची में शामिल किये जाने की मांग करता रहा है। अति पिछड़ी जाति की राजनीति करने वाले एसबीएसपी अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर हमेशा शिकायत करते रहे हैं कि पिछड़ी जातियों में भी अति पिछड़ी होने की वजह से समाज में उन्हें वाजिब हिस्सेदारी नहीं मिल रही है। राजभर की राजनीति की वह निकलने के लिए योगी ने बड़ा दांव खेला है।

►विजयवर्गीय का कद बढ़ा  

बल्लामार विधायक पुत्र के पिता कैलाश विजयवर्गीय केंद्रीय सत्ता में किसी भी सदन का सदस्य न होने के बावजूद राजनीतिक ताकत के नये धुव बनकर उभरे हैं। केंद्रीय मंत्री थावरचंद्र गहलोत के बाद विजयवर्गीय मालवा-निमाड़ क्षेत्र के ऐसे भाजपा नेता हैं जिन्हें भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने भाजपा संसदीय दल में नई जिम्मेदारी सौंपी है। उन्हें संसदीय दल, संगठन और सरकार के बीच समन्वय की जिम्मेदारी दी गई है। पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और पश्चिम बंगाल के प्रभारी होने के साथ-साथ वे पार्टी अध्यक्ष की ओर से हरियाणा की मॉनिटरिंग भी करेंगे। इसी वर्ष हरियाणा में चुनाव होने हैं। वैसे वे 2014 में हरियाणा और 2015 में उत्तराखंड के प्रभारी रहकर भाजपा की सरकार बनवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं। उत्तराखंड चुनाव के बाद पश्चिम बंगाल का प्रभारी बनने के बाद जो नतीजा उन्होंने दिया है, उससे शाह और पार्टी गद्गद है। सम्भावना है कि 2021 में बंगाल विधान सभा चुनावों तक बंगाल की जिम्मेदारी उनके पास ही रहेगी।  

►रिसने लगी लौह पुरुष की प्रतिमा

गुजरात के केवड़िया में 3000 करोड़ की लागत से बनी सरदार वल्लभ भाई पटेल की संसार की सबसे ऊंची प्रतिमा ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ से इस साल की पहली बारिश होते ही पानी टपकने लगा है। पटेल की यह प्रतिमा 182 मीटर ऊंची है‌। बरसात के पानी से प्रतिमा के हृदय के पास रिसाव की बात सामने आयी है। इस प्रतिमा में 153 मीटर की ऊंचाई पर दर्शक दीर्घा है, जहां से दृश्यों को देखने के लिए करीब 200 लोगों के लिए जगह बनायी गयी है। इसी जगह पर जलभराव तथा रिसाव की बात सुनने में आई है। पता चला है कि प्रतिमा की बनावट की वजह से इसमें बारिश का पानी आकर दीर्घा में भर जाता है। ध्यान रहे पिछले साल 31 अक्टूबर को ही इस प्रतिमा का अनावरण हुआ था। सरदार पटेल की यह प्रतिमा गुजरात में बड़ी संख्या में पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है। पिछले ही साल 13 नवंबर को बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी इसे देखने गए थे और अचानक बिजली गुल होने के कारण वे ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ की लिफ्ट में फंस गए थे।

पुछल्ला : पिछले सोमवार को राकांपा विधायक जितेंद्र आह्वाड की शिवसेना पक्षप्रमुख उद्धव ठाकरे से मुलाकात की खबर सोशल मीडिया पर छाई रही और जो तस्वीर शेयर की जा रही थी वह अक्टूबर 2018 की थी। इससे मुलाकात की सच्चाई समझी जा सकती है।