इस साल कृष्ण जन्माष्टमी की तैयारी फीकी

 10 Aug 2020  699

आस्था, (10 अगस्त 2020)- कृष्ण जन्मोत्सव को लेकर इस बार तैयारियां फीकी सी दिखाई दे रही हैं, कोरोना के प्रकोप की छाया हर त्योहार में दिखाई दे रही है। बीते दिनों रक्षा बंधन और ईद पर भी हर साल की तरह वैसी रौनक नहीं दिखाई दी थी। महाराष्ट्र में कृष्ण जन्मोत्सव पर बड़े जोर-शोर से मनाया जाने वाला दही-हांडी के खेल पर भी प्रतिबंध है। हालांकि घरों में लोग कान्हा के जन्म की तैयारी जोर-शोर से कर रहे हैं। वैसै आपको बता दें कि मथुरा और कृष्ण के गांव गोकुल में कान्हा के जन्मोत्सव को लेकर अलग-अलग मत हैं, इन दोनों जगहों पर अलग-अलग दिन जन्मोत्सव मनाया जाता है, जबकि आम मान्यता है कि  भाद्रपद मास की अष्टमी तिथि को कृष्ण जन्मोपलक्ष्य में जन्माष्टमी पर्व मनाया जाता है। विद्वानों के अनुसार वैष्णवों द्वारा परम्परानुसार भाद्रपद मास की अष्टमी तिथि में सूर्यादय होने के अनुसार ही जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाता है, लेकिन नन्दगांव में इसके उलट श्रावण मास की पूर्णमासी के दिन से आठवें दिन ही जन्माष्टमी मनाने की प्रथा चली आ रही है। हालांकि इस परंपरा के पीछे क्या वजह है और दोनों जगहों में समय का अंतर क्यों है इस पर कोई साफ मत पता नहीं चल पाया है। इस तरह इन तिथियों के अनुसार मथुरा में 12 और गोकुल में 11 अगस्त को कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाएगी। हालांकि कोरोना के प्रकोप चलते इस बार नंद गांव में सैकड़ों वर्षों से चली आ रही खुशी के लड्डू बांटे जाने की परम्परा भी नहीं निभाई जाएगी। इसके साथ ही मथुरा के मंदिरों में भी प्रसाद नहीं बांटा जाएगा। मंदिरों में सोशल डिस्टैंसिंग का कड़ाई का पालन किया जाएगा। 

►भारत में भगवान के कृष्ण के 10 प्रसिद्ध मंदिर
पूरे भारत में वैसे तो जगह-जगह पर राधा-कृष्ण मंदिर हैं, लेकिन ऐसे दस मंदिर हैं जिनकी बड़ी मान्यता है। अहमदाबाद का जगन्नाथ मंदिर, वृंदावन का बांके बिहारी मंदिर, उडीपी का श्रीकृष्ण मठ, नाथद्वारा का श्रीनाथजी मंदिर, जयपुर का गोविंद देव जी का मंदिर, इस्कॉन मंदिर, मथुरा का जुगल किशोर जी का मंदिर, केरल का गुरुवायूर मंदिर,  तमिलनाडु का राजगोपाल स्वामी मंदिर, कर्नाटक का वेणुगोपाल स्वामी मंदिर।